महाशिवरात्रि
कथा - १ कथा - २
मनोकामना पूर्ण करने केलिए :
Monday, 4 March 2019
Also called
ਮਹਾਂ ਸ਼ਿਵਰਾਤਰੀ (Punjabi), ମହା ଶିବରାତ୍ରି (Odia), মহা শিবরাত্রি (Bengali), महा शिवरात्रि (Nepali), महा शिवरात्रि (Sanskrit), महा शिवरात्रि (Marathi), மகா சிவராத்திரி (Tamil), മഹാ ശിവരാത്രി (Malayalam), ಮಹಾಶಿವರಾತ್ರಿ (Kannada), మహా శివరాత్రి (Telugu), મહા શિવરાત્રી (Gujarati)
महाशिवरात्रि (बोलचाल में शिवरात्रि) हिन्दुओं का एक प्रमुख त्यौहार है। यह भगवान शिव का प्रमुख पर्व है।फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को शिवरात्रि पर्व मनाया जाता है। माना जाता है कि सृष्टि का प्रारंभ इसी दिन से हुआ। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन सृष्टि का आरम्भ अग्निलिंग ( जो महादेव का विशालकाय स्वरूप है ) के उदय से हुआ। अधिक तर लोग यह मान्यता रखते है कि इसी दिन भगवान शिव का विवाह देवि पार्वति के साथ हुआ था। साल में होने वाली 12 शिवरात्रियों में से महाशिवरात्रि की सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। कश्मीर शैव मत में इस त्यौहार को हर-रात्रि और बोलचाल में 'हेराथ' या 'हेरथ' भी जाता है। [ विकिपीडिया]
अनुष्ठान
गेंदे के फूलों की अनेक प्रकार की मालायें जो शिव को चढ़ाई जाती हैं। इस अवसर पर भगवान शिव का अभिषेक अनेकों प्रकार से किया जाता है।
जलाभिषेक : जल से
दुग्धाभिषेक : दूध से।
बहुत जल्दी सुबह-सुबह भगवान शिव के मंदिरों पर भक्तों, जवान और बूढ़ों का ताँता लग जाता है वे सभी पारंपरिक शिवलिंग पूजा करने के लिए आते हैं और भगवान से प्रार्थना करते हैं। भक्त सूर्योदय के समय पवित्र स्थानों पर स्नान करते हैं जैसे गंगा, या (खजुराहो के शिव सागर में) या किसी अन्य पवित्र जल स्रोत में। यह शुद्धि के अनुष्ठान हैं, जो सभी हिंदू त्योहारों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। पवित्र स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र पहने जाते हैं, भक्त शिवलिंग स्नान करने के लिए मंदिर में पानी का बर्तन ले जाते हैं महिलाओं और पुरुषों दोनों सूर्य, विष्णु और शिव की प्रार्थना करते हैं मंदिरों में घंटी और "शंकर जी की जय" ध्वनि गूंजती है। भक्त शिवलिंग की तीन या सात बार परिक्रमा करते हैं और फिर शिवलिंग पर पानी या दूध भी डालते हैं।
शिव पुराण के अनुसार, महाशिवरात्रि पूजा में छह वस्तुओं को अवश्य शामिल करना चाहिए:
शिव लिंग का पानी, दूध और शहद के साथ अभिषेक। बेर या बेल के पत्ते जो आत्मा की शुद्धि का प्रतिनिधित्व करते हैं;
सिंदूर का पेस्ट स्नान के बाद शिव लिंग को लगाया जाता है। यह पुण्य का प्रतिनिधित्व करता है;
फल, जो दीर्घायु और इच्छाओं की संतुष्टि को दर्शाते हैं;
जलती धूप, धन, उपज (अनाज);
दीपक जो ज्ञान की प्राप्ति के लिए अनुकूल है;
और पान के पत्ते जो सांसारिक सुखों के साथ संतोष अंकन करते हैं।
महाशिवरात्रि पर ''ॐ नमः शिवाय'' का जप करते हुए शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने से सभी दुःख-दारिद्रय मिट जाते हैं और शिव कृपा प्राप्त होती है। भांग, धतूरा, बेलपत्र और गन्ने के रस, शहद, दूध, दही, घी, पंचामृत, गंगा जल, दूध मिश्रित शक्कर अथवा मिश्री से शिव आराधना करने अथवा चढ़ाने से सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं। इसदिन रात्रि जागरण और रुद्राभिषेक करने से प्राणी जीवनमृत्यु के बंधन से मुक्त हो जाता है।
महाशिवरात्रि के दिन शिव की पूजा में निषेध
- फूल - केतकी का फूल न चढ़ाएंं क्योंकि महादेव ने इस फूल का अपनी पूजा से त्याग कर दिया है।
- इस दिन पूजा करते समय काले रंग के कपड़े ना पहनें। मान्यता है कि भगवान शिव को काला रंग बिल्कुल भी पसन्द नहीं है।
- शिव की पूजा में शंख से जल और तुलसी अर्पित करना भी निषेध है।
- भगवान शिव का नारियल पानी से अभिषेक भी नहीं किया जाता है।
- तुलसी को भगवान शिव पर चढ़ाना मना है।
- तिल को शिवलिंग में चढ़ाना वर्जित माना जाता है क्योंकि यह भगवान विष्णु के मैल से उत्पन्न हुआ माना जाता है इसलिए इसे भगवान शिव को नहीं अर्पित किया जाना चाहिए।
- भगवान शिव को अक्षत यानी साबूत चावल अर्पित किए जाने के बारे में शास्त्रों में लिखा है। टूटा हुआ चावल अपूर्ण और अशुद्ध होता है इसलिए यह शिव जी को नही चढ़ता।
- कुमकुम या सिंदूर है वर्जित - कुमकुम सौभाग्य का प्रतीक होता है जबकि भगवान शिव वैरागी हैं इसलिए शिव जी को कुमकुम नहीं चढ़ना चाहिए। साथ ही शिवलिंग पर हल्दी भी न चढ़ाएं।
महाशिवरात्रि कथा
मनोकामना पूर्ण करने केलिए :
- शमी के फूल को शिवलिंग पर अर्पित करने से जहां घर में अपार धन-संपदा का आशीर्वाद मिलता है, वहीं शमी का वृक्ष लगाने से शनि से जुड़े सभी दोषों से मुक्ति मिल जाती है।
- भगवान शिव को सबसे ज्यादा प्रिय बेला के फूल अर्पणकरने से आपको जीवन में सुंदर व योग्य जीवनसाथी की प्राप्ति होगी।
- लाल व सफेद आंकड़े के फूल (मदार के पुष्प )को लेकर मान्यता है कि भगवान शिव को इसे अर्पित करने से वह शीघ्र प्रसन्न होते हैं। शिव पूजा में इस पुष्प के प्रयोग करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- महाशिवरात्रि पर यदि कोई व्यक्ति अगस्त्य (हथिया, मुनिवृक्ष, वंगसेन) फूल के साथ भगवान शिव की उपसना करता है तो समाज में उसके मान-सम्मान और यश में वृद्धि होती है।
- भगवान शिव की पूजा में कनेर का पुष्प चढ़ाने पर मनुष्य को मनचाहा धन लाभ प्राप्त होता है।
- अन्न की कमी, दु:ख-दारिद्रय को दूर करने के लिए महाशिवरात्रि पर जूही के फूल से भगवान शिव की पूजा
- बेल के पत्ते और बेल फल भगवान भोलेनाथ को अत्यंत प्रिय है।
- चमेली के फूल से शिवलिंग की पूजा करने पर मनुष्य के जीवन में सकारात्मकता ऊर्जा और वाहन सुख की प्राप्ति होती है।
- धतूरा भगवान भोलेनाथ को अत्यंत प्रिय है। शिव की पूजा में इसके फल और फूल को विशेष रूप से चढ़ाया जाता है। मान्यता है कि जो दंपत्ति पावन शिवरात्रि पर इस धतूरे के फूल के साथ भगवान शिव की पूजा करते है, उन्हें शिव कृपा से जल्द ही संतान सुख की प्राप्ति होती है।
- रात में खिलने वाले हरसिंगार के फूल (पारिजात या शिउली का फूल ) को महादेव पर अर्पित करने से साधक के सुख एवं वैभव में वृद्धि होती है।
- भगवान शिव को चमेली का फूल बहुत प्रिय है। चमेली के फूल से शिवलिंग की पूजा करने पर मनुष्य के जीवन में सकारात्मकता ऊर्जा और वाहन सुख की प्राप्ति होती है।
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